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उड़ने दो उसे पंख फैला के | एक कविता बिहार से

  • PatnaBeats
  • Dec 1, 2023
  • 1 min read

अभिषेक पाण्डेय, पेशे से इंजीनियर हैं| पटना के मूल निवासी हैं और फ़िलहाल नौकरी के सिलसिले में कलकत्ता में हैं| इनका युवा मन अक्सर तन्हाई में अपने आप से बातें करता है और जब बातें पन्ने पर उतरने को आतुर हो जाती हैं तो बस बन जाती है एक कविता|

पटनाबीट्स पर पाठकों की तरफ से आई है आज की ‘एक कविता बिहार से’, शीर्षक है- ‘बावला मन’|


बावला मन

खुले आसमान में चाहतों की उड़ान भरता बावला मन,

उड़ने दो उसे पंख फैला के,

दब न जाएँ आशायें अंदर ही अंदर ,

उड़ने दो उसे पंख फैला के |

जलने दो उसे सूरज की तपिश में ,

चाँद की शीतलता भी उसे मिले,

लड़ने दो उसे हवा के थपेड़ों से,

बारिश की फुहार भी उसे मिले|

बंदिशों को तोड़े हज़ारों सपने लिए,

लम्हों से वो एक फितूर जगाये बैठा है|

ज़िद है उसकी उस हद तक जाने की,

उसने गिर के उठना ही अपना वजूद माना है|

जीने दो उसे उसी उड़ान के साथ,

वो बावला है, उसे उड़ना है बस उड़ना है||


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